hanuman chalisa - An Overview

अस कहि श्रीपति कण्ठ लगावैं ॥१३॥ सनकादिक ब्रह्मादि मुनीसा ।

भावार्थ – भगवान् श्री रामचन्द्र जी के द्वार के रखवाले (द्वारपाल) आप ही हैं। आपकी आज्ञा के बिना उनके दरबार में किसी का प्रवेश नहीं हो सकता (अर्थात् भगवान् राम की कृपा और भक्ति प्राप्त करने के लिये आपकी कृपा बहुत आवश्यक है) ।

Property of Tulsidas on the financial institutions of River Ganga Tulsi Ghat Varanasi where Hanuman Chalisa was created, a small temple is likewise Positioned at This page Tulsidas[eleven] (1497/1532–1623) was a Hindu poet-saint, reformer and philosopher renowned for his devotion for Rama. A composer of many well-known works, he is greatest known for remaining the author of your epic Ramcharitmanas, a retelling with the Ramayana from the vernacular Awadhi language. Tulsidas was acclaimed in his lifetime to become a reincarnation of Valmiki, the composer of the original Ramayana in Sanskrit.[twelve] Tulsidas lived in the city of Varanasi until his Demise.

Upon arriving, he learned that there were many herbs alongside the mountainside, and did not desire to choose the incorrect herb back again. So in its place, he grew to the scale of a mountain, ripped the mountain with the Earth, and flew it again to your fight.

भावार्थ – भूत–पिशाच आदि आपका ‘महावीर’ नाम सुनते ही (नामोच्चारण करने वाले के) समीप नहीं आते हैं।

Janama janamaJanama janamaBirth following birth keKeOf dukhaDukhaUnhappiness / soreness bisarāvaiBisarāvaiRemove / still left at the rear of Meaning: By singing your praise, a single finds Lord Rama and escapes from suffering/unhappiness in innumerable lives.

पवनदीप राजन द्वारा गाया हनुमान चालीसा

हिन्दू धर्म में बजरंगबली को को सबसे अधिक पूजनीय देवताओं में से एक माना जाता हैं। हनुमान चालीसा के साथ ही सुंदरकांड, बजरंग बाण और संकट मोचन हनुमानाष्टक का पाठ कर रामभक्त हनुमान को प्रसन्न किया जा सकता है।

BhīmaBhīmaFrightening rūpaRūpaForm / system / form DhariDhariAssuming asuraAsuraDemon samhāreSamhāreDestroy / kill

भावार्थ – आपकी इस महिमा को जान लेने के बाद कोई भी प्राणी किसी अन्य देवता को हृदय में धारण न करते हुए भी आपकी सेवा से ही जीवन का सभी सुख प्राप्त कर लेता है।

मन क्रम बचन ध्यान जो लावै ॥२६॥ सब पर राम तपस्वी राजा ।

You are classified as the repository of Finding out, virtuous and entirely achieved, usually keen to execute the behests of Shri Ram.

जनम जनम के दुख बिसरावै ॥३३॥ read more अन्त काल रघुबर पुर जाई ।

भावार्थ – आप अपने स्वामी श्री रामचन्द्र जी की मुद्रिका [अँगूठी] को मुख में रखकर [सौ योजन विस्तृत] महासमुद्र को लाँघ गये थे। [आपकी अपार महिमा को देखते हुए] इसमें आश्चर्य की कोई बात नहीं है।

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